प्रशिद्ध कनिवाड़ा हनुमान मंदिर जहां मंदिर की छत नहीं है |
कनिवाड़ा हनुमान जी मंदिर की विशेषता
कानीवाड़ा हनुमान मंदिर, जालोर, राजस्थान,के एक छोटे से गाँव कनिवाड़ा में स्थित है यह गाँव जालोर से 10 किमी दूर है तथा सबसे क़रीब रेलवे स्टेशन जालोर रेलवे स्टेशन से भी क़रीब 10 किमी दूर है , नेशनल हाइवे जालोर जोधपुर से 3 किमी पर पड़ता है यह एक अनोखा और चमत्कारी मंदिर है जो अपने विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर संगमरमर के पत्थर से बना है और उसकी मूर्ति विशेष रूप से प्रकट हुई थी। कहते है क़रीब 500 साल पहले गाँव की खुदाई में ज़मीन से प्रकट हुई यह मूर्ति अपने आप में चमत्कारी थी सुरुआती दिनों में यह मूर्ति गाँव के बीच में रखी गई फिर जब भगतों के जमावड़े को देखते हुए गाँव वालो ने गाँव के निकट एक विधि विधान से मूर्ति को एक छोटे मंदिर में रखा गया ।
साल 2005-07 के बीच मंदिर को भव्य बनाया गया इस मंदिर की एक खूबी यह है कि इस मंदिर की छत नहीं है इसका मुख्य करना है की जब भी इस मंदिर की छत बनाते गाँव वाले की 24 घंटों में वह गिर जाती क़रीब 4-5 बार छत बनाये जाने पर भी वह बच नहीं पाई तो मंदिर के पुजारियों ने छत ना बनाने का फेसला लिया और आज तक यह मंदिर बिना छत के है | मंदिर में हर तरह की सुविधा की गई पार्किंग , भगतों के लिए रुकने की व्यवस्ता की गई जिसके बाद से यह मंदिर लोगों के लिए धार्मिकता और मानसिक शांति का एक प्रमुख स्थान बन गया है।
कानीवाड़ा मंदिर में दलित पुजारी द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है और इसे बड़े समरसता का प्रतीक भी माना जाता है। पुराने समय से ही यह मंदिर दलित परिवारों के लोगों द्वारा पूजा जाती आ रहा है, और कहते हैं कि इन परिवारों के वंशज ही कानीवाड़ा हनुमान मंदिर के पुजारी हैं।
मंदिर में हनुमानजी की मूर्ति विशेष रूप से प्रकट हुई थी, जिसके बाद मंदिर को बनाया गया था।
मंदिर में एक और रोचक विशेषता है - 13 अखंड ज्योत जलती हैं जो लोगों द्वारा मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जलाई जाती हैं। इसके अलावा, यहां आने वाले लोगों की मनोकामनाएं भी पूरी होने के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर के विशेषताओं के कारण, लोग दूर-दूर से यहां हनुमानजी के दर्शन करने आते हैं।
यह मंदिर धार्मिक तथा सामाजिक समरसता को प्रदर्शित करने का एक अच्छा उदाहरण है जहां लोगों की भक्ति और आदर को सभी तरीकों से स्वीकार किया जाता है। इस मंदिर के पुजारी दलित परिवार से होने के बावजूद खुद को गर्गाचार्य के वंशज के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं और लोगों को आर्शावाद भी देते हैं।
आपने मंदिर के ऐतिहासिक, धार्मिक और भक्तिकारी अंशों के बारे में विस्तार से बताया है। इसका धार्मिक महत्व और भक्तों के लिए पवित्र स्थान होने के कारण, यहां पर आने वाले लोग अपनी जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और संतानों की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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